मददगार हाथ, आशाओं का सृजन, समृद्ध जीवन !
सोच
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
उद्देश्य
सो लिए भूखे बहुत अब ये आदत बदलनी चाहिए
उम्र का फ़र्क, न धनाभाव, बस भूख मिटनी चाहिए
अनपढ़ न रह जाए कोई, पीछे न रह जाए कोई
बराबर का मौका और बराबर शिक्षा मिलनी चाहिए
जी लिए अंधेरे में बहुत, पृथ्वी को भी पीछे ढकेला
इक किरण आशा की अब सभी को दिखनी चाहिए
मान
बाधा चाहे आती रहे नहीं रुकेंगे हम कभी
है जो आग सीने में जलती रहनी चाहिए
सपने सच होंगे सभी मिलकर कहते सब यही
अंत हो संघर्ष का ख़ुशहाली लहकनी चाहिए
मिले दान का इक अंश भी ज़ाया न जाए कहीं
देश-दुनिया में हर किसी तक मदद पहुँचनी चाहिए
26 मई 2012 को “कवि 'किंकर' राम जी शरण विंध्याचल प्रसाद जी" की स्मृति में "श्री अरविंद कुमार सिन्हा" द्वारा स्थापित विंध्याचल सेवा संस्थान विजन कैटलिस्ट समूह के दुनिया भर में सी॰एस॰आर॰ कार्यों का क्रियान्वित हाथ है जो कि विज़न कैटेलिस्ट समूह के व्यावसायिक समुदायों के क़रीब काम करता है।
विंध्याचल सेवा संस्थान मानवता को समर्पित है और ज़मीनी स्तर पर सक्रिय विभिन्न सामाजिक परिवर्तनकर्ताओं के पालक के रूप में ख़ुद को स्थापित कर मानव विकास सूचकांक में सुधार करने पर केंद्रित है। संस्थान विजन कैलिस्ट समूह द्वारा व्यापारिक स्थानों पर कार्यान्वित स्थायी सामाजिक विकास पहलों का मार्गदर्शक रहा है।
सी॰एस॰आर॰ के माध्यम से व्यावसायिक स्थानों के आसपास के क्षेत्र में समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार और नागरिकों की बुनियादी सुविधाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित कर संस्थान कला, संस्कृति, स्वास्थ्य पर आधारित आजीविका के विकल्प पैदा करने, खेलों को बढ़ावा देने के अलावा सांझी विरासत को बचाने की ओर केंद्रित है।
संस्थान ने समुदायों के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने और उन्हें देश के मुख्यधारा विकास की प्रक्रिया में जोड़ने के उद्देश्य से सरकार और अन्य विकासात्मक एजेंसियों के साथ चलते हुए अपनी योजनाओं का गठन किया है। संस्थान महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता, शिक्षा और कौशल विकास, बुनियादी ढांचे और सामुदायिक विकास के क्षेत्रों में लगातार सामाजिक चुनौतियों के बीच जुझारू रूप से कार्यरत है।
विंध्याचल सेवा संस्थान ने ‘बागेश्वरी पुरस्कार’ के नाम से ज़मीनी स्तर पर प्रतिभा को पहचानने और पोषित करने के लिए क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार का उद्घाटन किया है । इसके अलावा संस्थान ने 'वीना स्मृति योजना' के रूप में एक पहल की है जिसके अंतर्गत हम वंचित लोगों के जीवन को समृद्ध बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भविष्य में, संस्थान कई बड़ी योजनाएँ लाने की तैयारी कर रहा है। हम आसपास के गांवों में पीने के पानी की पाइपलाइन के आयोजन पर ध्यान केंद्रित करेंगे; जनसंख्या स्थायिकरण की पहल करेंगे; किशोरियों के स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित देखभाल कार्यक्रम शुरू करेंगे; एस॰एच॰जी॰ पहल के माध्यम से सूक्ष्म उद्यम विकास को मज़बूत करना, विशेष रूप से महिला सशक्तीकरण के संबंध में; आसपास के गांवों में 1,000 से अधिक शौचालयों का निर्माण और खुले में शौच करने वाली पंचायतों के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों और कुष्ठ और दिव्यांग लोगों के लिए सुविधाएं मुहैया कराने के प्रावधान हैं।
विंध्याचल सेवा संस्थान छात्रों को शास्त्रीय कला और तकनीकी कौशल का प्रशिक्षण देने के लिए ‘सिन्हा कला, संस्कृति और कौशल विकास केंद्र’ स्थापित करने की योजना बना रहा है जो कि कई एकड़ में फैली एक आवासीय सुविधा होगी। केंद्र वंचित छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करेगा। इससे युवाओं को अपने कौशल को विकसित करने में भी मदद मिलेगी ताकि वे भारत में और साथ ही वैश्विक स्तर पर शास्त्रीय व शिल्प कलाओं को एक करियर के रूप में अपना सकें।
उद्देश्य :
• समाज के कमज़ोर वर्ग के लिए काम करना और बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना।
• पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने पर ध्यान देना।
• राष्ट्र के समग्र विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना।
• मानव जाति और मानवता के लिए ईमानदारी से काम करना।
• सामाजिक बुराइयों को मिटाना और अनाथों और दिव्यांगों की मदद करना।
• शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना।
• वैज्ञानिक शोध और विकास को बढ़ावा देना।
• खेलों को विकसित करना व बढ़ावा देना।