श्री विवेक सिन्हा द्वारा बताई गई 101 कहानियाँ

कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं
सब्र से बड़ा कोई हुनर नहीं
कोशिश करते रहना चाहिए
स्वयं के मन से बड़ा कोई डर नहीं


जब तक मेरे ख्याल में,
कड़ी मेहनत से
ज़िंदगियाँ बदलने का एहसास है
मैं आखिरी साँस तक कोशिश करुंगा
तुम्हारे लिए, तुम्हारे साथ


मैं आग हूँ
मैं राग हूँ
मन तुमसे प्रेम करने वाला
तुम्हारा ही अनुराग हूँ

मैं धुप हूँ
मैं छाँव हूँ
तुमको पार लगाने वाली
निष्छल तैरती नाव हूँ

मैं कल भी था
मैं कल भी हूँ
मैं आने वाला पल भी हूँ
मैं हर फूल का काँटा हूँ
मैं मौन हूँ सन्नाटा हूँ
मुझे तोड़ लेना तुम पथिक
मैं फिर आने वाला ज्वार भाटा हूँ


राम जी की महिमा का समन्दर
हनुमान जी की भक्ति
विंध्याचल जी के मन पर
पुष्पित पावन निश्चल
तप ज्ञान की गोदावरी
पुत्र हुए पांच, नाम पिता का बागेश्वरी

मैं अवनीश, मैं गिरीश और मैं ही सतीश हूँ
मैं अरविंद पर विराजमान
मैं जीवन का प्रमोद हूं
मैं हूँ तुम्हारा आदि, मैं ही तुम्हारा अंत हूँ
मेरा नाम विंध्याचल है
और मैं अनंत हूं

मैं हूँ महावीर का भक्त
मैं ही तुम्हारा संत हूँ
मैं भी तुम्हारे प्रेम में
खोया और निष्चिंत हूँ
श्री कृष्णनन की खोज में आज भी मैं चिंत हूँ

मुझे मोक्ष दे दो मेरे परिजनों
मैं ही तुम्हारा ग्रन्थ हूँ

मैं ही मीरा मैं ही निरुपमा
मैं ही मनोरमा का मंत्र हूं
मैं आरम्भ हूँ मैं अंत हूँ
मैं तुम्हारे प्रेम में आज भी अनंत हूँ

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