Our past was a deep struggle with positive mindset to create a tremendous future which will astonish the whole world. Knowledge and patience is power of common man for an uncommon wisdom.
: Shri Arvind Kumar Sinha Ji

अवलोकन

ख़ुद से पहले दूसरों की भलाई के बारे में सोचना। कवि किंकर जी से मिली इस सीख की नीव पर स्थापित विध्याञ्चल सेवा संस्थान बिहार के छोटे से गाँव में अपनी जड़ें रखता हुआ पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा के पालक श्री विवेक सिन्हा की बदौलत सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि अमीरात व तंज़ानिया में भी कार्यरत है।

एक पहल

उम्र भर ओर्डिनन्स फ़ैक्टरी कानपुर में नौकरी करने वाले विद्याञ्चल सेवा संस्थान के स्थापक श्री अरविंद कुमार सिन्हा जी नौकरी के दौरान लखराओं पूजन की इच्छा रखे रहे लेकिन धन के अभाव व व्यस्तता के चलते कभी इसे पूरा न कर सके। धन का अभाव होने के बावजूद वे हमेशा दूसरों की आर्थिक व अन्य रूपों से मदद करने को तत्पर रहे। नौकरी पूरी होने के बाद 2011 में आख़िर उनकी 35 साल की मनोकामना पूरी हुई और उनके सुपुत्र विवेक कुमार सिन्हा जी के साथ की बदौलत उन्होंने 2011 में हरपुरनाग में लखराओं पूजन करवाया। इसी के सिलसिले में गाँव जाने पर उन्हें अपने बाबा किंकर जी के बनवाए हुए मंदिर व किए गए अन्य समाज सेवी कार्यों से प्रेरणा मिली। अरविंद जी की तरह ही उनके बाबा किंकर जी भी आजीवन समाज सेवी रहे तथा उन्होंने मंदिर का निर्माण भी करवाया। अपने बाबा की जीवनी से प्रभावित होकर अरविंद जी गाँव की दुनिया में ही रम गए और उन्होंने समाज कल्याण हेतु विद्यांचल सेवा संस्थान की स्थापना 26 मई 2012 को हरपुनाग में की।

मशाल जलती रही

आजीवन परोपकारी रहे अरविंद जी का हाथ बटाने के लिए उनके साथ जुड़े भतीजे अंशु ने उनके पदचिन्हों पर चलते हुए पूरा कार्यभार संभाला और उनके निर्देशानुसार काम करते रहे। इसी दौरान गाँव में हनुमान मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ जो की अरविंद जी के रहते पूरा न हो सका। अरविंद की के बाद भी परिवार के सभी सदस्य व गाँव के लोग काम संभालते रहे और इसी दौरान किंकर जी की रचना "कृष्णायण" को प्रकाशित कराने के लिए कोशिशें जारी रहीं।

आगे का रास्ता

वैश्विक आपदा nCOVID-19 के लॉकडाउन के दौरान भी अंशु जी अपने भाई विवेक जी की ओर से लगातार मिल रही आर्थिक मदद से लोगों तक मास्क, भोजन, दवाएं व बाक़ी ज़रूरी समान पहुंचाते रहे हैं। विद्यांचल सेवा संस्थान के मौजूदा दो प्रयास अरविंद जी द्वारा शुरू किए गए मंदिर निर्माण को पूरा करना और किंकर जी की रचना "कृष्णायण" को अपने सही मुकाम तक पहुंचाने के हैं। साथ ही देश-विदेश में चल रहे समाज कल्याण कार्यों को जारी रखते हुए हम आपसे संस्थान से जुडने के लिए आग्रह करते हैं।

• पैतृक मंदिर का नवीनीकरण और उन्नयन और विकास
• अंतर्राष्ट्रीय गौरव तक पहुँचने के लिए श्री कृष्णायण का प्रकाशन
• हरपुरनाग गाँव का विकास
• जरूरतमंदों के लिए मानवीय कार्यक्रम
• एक बड़े और बेहतर भारत की नींव

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