पैतृक विरासत


कवि किंकर रामजी शरण विंध्याचल प्रसाद जी की 138 गौरवशाली वर्षों की महान विरासत को जारी रखते हुए विंध्याचल सेवा संस्थान 2012 में स्थापित किया गया और तब से कई बड़े पढ़ाव पार कर चुका है। जैसे कि :

हरपुरनाग गाँव का सबसे बड़ा धर्मिकोत्सव आयोजित किया गया: श्री अरविंद कुमार सिन्हा ने अपने पूरे परिवार की ओर से अपने भाइयों-बहनों, दोस्तों और ग्रामीणों के पूर्ण समर्थन से गाँव के इतिहास का सबसे बड़ा शिव पूजन लखराओं आयोजित किया जिससे हरपुरनाग और उसके आसपास के गांवों और समुदाय चकित रह गए।



पैतृक उद्यान में समाधि-स्थल का निर्माण: किंकर जी के बाद से, यह परिवार के लिए एक सपना था कि वह उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी समाधि का निर्माण करवाएँ। संसाधनों की कमी के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी यह सपना तब तक पूरा नहीं हो सका जब तक अरविंद कुमार सिन्हा ने विंध्याचल सेवा संस्थान का प्रभार नहीं लिया । उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके प्रत्येक पूर्वज को एक श्रद्धांजलि अर्पित की जाए, जिसके लिए पैतृक बगीचे में किंकर जी से शुरू करते हुए सभी पूर्वजों के समाधि स्थलों का निर्माण करवाया गया और आगे चलकर उन्होंने 2016 में ख़ुद वहां विश्राम किया।




मंदिर निर्माण: अरविंद जी द्वारा मंदिर निर्माण 2012 में शुरू किया गया था, जो 2016 में आर॰सी॰सी॰ अधिरचना तक उनके निधन के बाद भी बना रहा। हाल ही में अरविंद जी के भतीजे की देख-रेख में सुपर-स्ट्रक्चर चरण से फिर से काम शुरू किया गया जिससे की उनकी मनोइच्छा पूरी हो सके। 5 अगस्त 2020 को श्री अंशु कुमार के नेतृत्व में ग्रामीणों ने इस लंबित कार्य को पूरा करने का निर्णय लिया और विंध्याचल सेवा संस्थान के माध्यम से काम शुरू हुआ। विजन कैटलिस्ट ग्रुप परियोजना मूल्यांकन पर आगे धन व्यवस्था के लिए काम कर रहा है।




महाबीर मंदिर का रख-रखाव और नवीनीकरण: 19 वीं शताब्दी में किंकर जी द्वारा निर्मित , हरपुरनाग में महाबीर मंदिर एक वास्तुशिल्प कृति है जो एक सदी से अधिक की अवधि में समय की कसौटी पर अपनी सुंदरता और चमक खो चुकी है। कई अन्य ऐतिहासिक वास्तुकला के विपरीत - जो एक निश्चित समय के बाद मिट्टी में धंस जाते हैं - यह अभी भी पीढ़ी दर पीढ़ी दी गई निरंतर देखभाल के आधार पर सभी ग्रामीणों और उपासकों के लिए गर्व की बात है। कवि श्री राम जी शरण विद्यांचल प्रसाद ‘किंकर’ द्वारा 19 वीं शताब्दी में स्थापित प्राचीन सिद्धपीठ राम जानकी और महावीर मंदिर का नवीनीकरण और हर मंगलवार को क्षेत्रीय कलाकारों द्वारा धार्मिक समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।




"श्री कृष्णायण" को प्रकाशित करने का प्रयास: 2017 में, श्री विवेक कुमार सिन्हा के भारत दौरे के समय अपने दिवंगत पिता की पहली पुण्यतिथि पर वह अपने पैतृक गांव, हरपुरनाग पहुंचे और उन्हें कवि ‘किंकर’ कृत पवित्र “श्री कृष्णायण” के बारे में पता चला। परिवार की विरासत और प्रलेखन के संरक्षक ताऊ जी श्री सतीश कुमार सिन्हा द्वारा उन्हें सौंप दिया गया। इसी सिलसिले में, श्री अंशु कुमार ने ऐतिहासिक मीटिंग की व्यवस्था की जिसमें विजन कैटलिस्ट समूह के चेयरमैन और भारत के उस तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री मोतिहारी जी क्रमश: 2017 और 2018 में नई दिल्ली में मिले। श्री विवेक कुमार सिन्हा और श्री अंशु कुमार ने इस पवित्र पुस्तक को बिहार के लोगों के लिए छापने के महत्व के बारे में बताया। महत्व को जानते हुए, भारत के तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री ने मामले को भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय में तक पहुँचा दिया और आगे यह मामला नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया में लंबित है। श्री विवेक कुमार सिन्हा के निर्देश पर श्री अंशु कुमार द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। हम इस पुराण को जल्द से जल्द मुद्रित कराने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।




हरपुरनाग के गौरव को बनाए रखना: गाँव के लोगों को उनके कठिन समय में सार्वजनिक और व्यक्तिगत स्तर पर हर संभव मदद दी जाती है। ‘किंकर’ जी के समय से कोई भी ज़रूरतमन्द निराश नहीं लौटा है। उनके नक्शेकदम पर संस्थान पूरी लगन से चल रहा है। ग्राम- पंचायत के साथ मिलकर ग्रामीण विकास पर निरंतर ध्यान दिया गया है।




पिछड़ी और दलित बस्तियों की साफ-सफाई: विंध्याचल सेवा संस्थान द्वारा लगातार हरपुरनाग, कानपुर, अरुशा और संयुक्त अरब अमीरात के श्रम शिविर क्षेत्रों में सफाई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। विंध्याचल सेवा संस्थान के स्वयंसेवकों ने प्रत्येक धर्म के धार्मिक त्योहारों के अवसर पर संबंधित स्थलों को साफ़ और पेंट किया।




वीणा स्मृति योजना: विधवाओं और असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों को निश्चित मासिक सहायता राशि प्रदान की।




नि:शुल्क चिकित्सा शिविर: समय-समय पर गाँव में निःशुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया गया। विंध्याचल सेवा संस्थान द्वारा हेल्थ चेक-अप के लिए एक कार्यालय बनाया गया। स्थायी अस्पताल और डॉक्टर का प्रावधान उपलब्ध कराया गया। गंभीर बीमारियों वाले रोगियों को यथासंभव वित्तीय सहायता प्रदान की गई। प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रभावित लोगों की सहायता पहुंचाई गई। संस्थान हमेशा दिव्यांग लोगों के साथ खड़ा है।




शिक्षा: गरीब महिलाओं और शिक्षा से वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की गई। विशेषाधिकार प्राप्त छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के लिए तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था की ज़िम्मेदारी संस्थान ने उठाने का वचन लिया है।




समाज कल्याण और जागरूकता: बहुत गरीब लोगों की बेटियों की शादी में सहयोग, कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए समाज को जागृत करना, धार्मिक अवसरों पर गरीबों के बीच कपड़े आदि का वितरण, विख्यात लोगों की जयंती और पुण्यतिथि पर वृक्षारोपण इत्यादि संस्थान शुरू से करता आ रहा है।


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